seb ki kheti सेब की खेती:मे करे इन किस्म का उपयोग मिलेगी लाखो के पैदावार

seb ki kheti सेब की खेती:मे करे इन किस्म का उपयोग मिलेगी लाखो के पैदावार

Seb ki kheti सेब की खेती:मे करे इन किस्म का उपयोग मिलेगी लाखो के पैदावार-नमस्कार आप सभीका हमारे नए लेख मे स्वागत है हम आपके लिए खेती औरे किसान से जुडी नई योजना के बारे मे जानकारी लेके आते रहेते है आज हम आपको सेव की खेती के बारे मे जानकारी देंगे हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है कही प्रकार की खेती करी जाती है जिसके लिए कही किसान फलों की भी खेती करते है जिसमे किसान सेव की खेती करते है सेव की खेती करके किसान लाखो रूपये से करोड़ो तक कमाते है तो हम इस लेख के अंदर सेव की खेती करने के लिए जमीन कैसी चाइये किस समय मे करे कौनसी क़िस्म का उपयोग करे ताकि ज्यादा से ज्यादा फायदा हो इस लिए आपको जानकारी निचे दी है तो इस लेख को जरुर पढ़े

seb ki kheti सेब की खेती:मे करे इन किस्म का उपयोग मिलेगी लाखो के पैदावार

सेब की खेती के लिए उपयोगी जलवायु

सेब की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी की जरुरत होती है जहा सेब की खेती करनी है वहा पर जल भराव की समस्या होनी चाइये नहीं जहा पर जल भराव कि समस्या रहेती है वहा पर सेव की पौधे को कही प्रकार के रोग लगने की संभावना रहेती है सेव की खेती मे जमीन की मिट्टी 1 से 1.5 फिट तक चट्टानी मिट्टी होनी चाइये नहीं और उसके साथ साथ जमीन की ph मात्रा 5 से 7.5 होनी चाइये 

सेब की खेती के लिए ठंडा प्रदेश उचित माना जाता है सेब की पौधे को अरछी वृधि और विकास के लिए ठंड जरुरी होती है लेकिन शर्दियो के सीजन में सेब के पौधे को फल के विकास के लिए 200 घंटे धुप की जरुरत होती है लेकिन जब पौधे पौधे पर जब फुल आने के समय मे शर्दियो के समय मे गिरने वाला पाला और बारिश से कही नुकसान हो सकता है इसके कारण फूलो के ऊपर फफूंदी वाले रोग लगने की संभावना रहेती है जिसके कारण नुक्सान आता है सेब की फसल को बारिश की आवशकता नहीं होती लेकिन ठंडे तापमान की जरुरत रहेती है सेब की पौधे को विकास होने के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान की जरुरत होती है और फलो का विकास के लिए 7 डिग्री तापमान की जरुरत होती है

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सेब की उन्नत किस्मे

अभी के वर्तमान समय के अंदर सेब क्र लिए कही उन्न्त किस्म बनाई गई है लेकिन उसके उनक़िस्म को अलग अलग आबोहवा और अलग जलवायु के लिए बनाया गया है सेब की फसल की किस्म के प्रकार निचे दिए गए है

रॉयल डिलीसय्स किस्म की खेती

इस किस्म के अंदर लाल रंग के फलो को पाया जाता है इस किस्म के फल गोलाकार देखने को मिलते है लेकिन इसके अंदर डंठल के पास भाग हरा होता है इस किस्म का फल पकने मे समय लेता है लेकिन पैदावार काफी अर्छी दिखने मिल सकती है

ओर्गिन स्पर

इस किस्म के फल लाल रंग के होते है इस के फलो के ऊपर धरिया बनी हुई दिखती है इस किस्म में फलो का रंग गहरा लाल बना हुआ होता है

रैड चिक किस्म के फल

इस किस्म का पौधा आकार मे छोटा होता है यह किस्म के पौधे के अंदर फल  5 फीट की उंचाई पर लगते है इसके फल गहरे लाल रंग के होते है जिसके ऊपर सफ़ेद रंग के धब्बे दिखाई देते है सेब की खेती के अंदर यह किस्म जल्दी फसल देने के लिए तैयार होती है

सेब की हायब्रिड किस्म 11-1/12

ये सेब की किस्म बनाई हुई किस्म है यह किस्म के फल अगस्त माह के अंदर इसके फाल आने की शरुआत होजाती है यह किस्म के अंदर फल लाल रंग के और धारी दार होते है फलो की इस किस्म को शर्दियो की सीजन मे उगाया जाता है इस किस्म के फलो को आधिक समय तक रखकर भी उपयोग मे लिया जा सकता है इस को रेड दिलिस्य्स और विंटर बनाना में से बनाया गया है

हायब्रिड हरिमन -99

सेब की खेती के अंदर हरिमन -99 एक बढ़िया किस्म है इस किस्म की खेती भारत देश के अंदाजित 22 से  23 राज्य के अंदर अपनाई गई हुई है इस प्रजाति किस्म को हमारे हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाव के कृषि विशेगन्य एच आर शर्मा ने बनाई है और इसको 42 से 48 डिग्री तापमान मे भी खेती कीजा सकती है

यहाँ पर आपको बिज सिर्फ जानकारी के लिए बताये गए है आप अपने विस्तार के वातावरण और पानी और किसी एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार उपयोग करे

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सेब की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करे

आपको सेब की खेती करने से पहले आपको अपनी खेती को तिन बार जुताई कर ले उसके बाद आपको अपनी खेत के अंदर रोटावेटर लग्वाले क्यों की मिट्टी भुरभुरी हो जाए उसके बाद पाटा लगवाये जिसके कारण आपको जमीन समतल हो जाए और पानी भराने की समस्या न रहे 

उसके बाद आपको पौधे लगाने के लिए आपको 3 फिट गहरा 2 फिट चौड़ा खड्डे तैयार करने है खड्डे के बिच मे 12 से 15 फिट की दुरी बनाए रखे और एशे ही पुरे खेत मे लाइन बनाले दो लाइन के बिच मे 10 फिट का अंतर रखे  उसके बाद आपको तैयार किये गए खड्डों की अंदर आपको गोबर की खाद और रासायनिक खाद डाल दे उसके बाद आपको पौधे की बुआई करनी है आपको रोपाई के 1 महिना और पहले इन खड़ो को तैयार कर लेना चाइए

सेब के पौधो की बुआई कैसे करे

सेब के पौधे को रोपाई के पहले तैयार करना होता है इन पौधे को पुराने पौधे से कलम करके और बिज के माध्यम से भी किया जा सकता है या फिर आप सरकार मान्य धरु से भी उसको खरीद कर ला सकते हो 

अब आपको खेत में तैयार किये गए खड़ो के अंदर आपको पौधे को लगाना होगा उसके बाद आप एक बार सिंचाई करने के बाद आपको इन तैयार किये गए खड़े के अंदर आपको सेब के पौधे को लगाना होगा आप नर्सरी लाये गए पौधे 1 साल पुराना और स्वस्थ होने चाइये आप पौधे को जनवरी और फरवरी माह के अंदर कर सकते हो जिसके कारण पौधे को उचित तापमान मिले और विकास बढ़िया तरीके से हो सके

सेब की खेती मे सिंचाई और उर्वरक

सेब की पौधे को ठंडी की सीजन के अंदर ज्यादा जरुरत होती नहीं है लेकिन पौधे की रोपाई के बाद तुरंत आपको पहली सिंचाई कर लेनी चाइये और उसके बाद आपको ठंडी की सीजन के अंदर आपको केवल 3 से 4 सिंचाई की जरुरत होगी उसको गर्मियों की सीजन मे आपको इस हप्ते मे एक बार आपको सिंचाई करनी होगी 

सेब की पौधे मे आपको उर्वरक की बात करे तो आपको आपको उसके गड़े को तैयार करते समय आपको 8 से 9 किलो गोबर और उसके साथ साथ रासायनिक खाद N.P.K 1 से 2 किलो देना जरुरी है उसके मदद से आपके सेब की पौधे का विकास बढ़िया तरीके से हो सके और अच्छी पैदावार मिले

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सेब मे लगने वाले रोग और उनका नियंत्रण

दोस्तों सेब की खेती के अंदर कही प्रकार के रोग लगते है इसके अंदर कही प्रकार के रोग लगेंगे जिसकी मदद से पौधा संक्रमित होगा और उसका विकास रुकने वाला है और कही प्रकार के कीटक रोग भी लगते है जिसकी सभी जानकारी निचे दी हुई है

सेव क्लियरविंग मोठ

ये रोग पौधे को पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद लगता है इस रोग के अंदर एक लावा छुट रहा होता है वो लावा सेब के पौधे के पत्ते को पूरी तरह से ख़त्म कर देता है इस से पौधे को बचाने के लिए इसे पौधा संक्रमित होने पर तुरंत क्लोरपिरिफोस दवाई का स्प्रे 20 से 22 दिन के अंतराल पर आपको करने चाइए

सफ़ेद रुइया किट रोग

यह एक कीटक रोग है जिसके कारण इस रोग के अंदर कीटक अपने ऊपर एक सफ़ेद कवच बनाता है और अंदर पत्ती यो का रस चूसने लगता है इससे प्रभावित पौधे के अंदर जड़ो मे गठे दिखने को मिलते है या फिर पत्तिया सुखकर गिर जाती है इस रोग का नियंत्रण करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या मिथाइल डेमेटान का स्प्रे करने से रोग के ऊपर नियंत्रण कर सकते है

सेव पपड़ी रोग

इस रोग सेब के फलो मे लगता है और वो बहोत हानिकारक होता है इस रोग को लग जाने पर ये सेब के फलो के उपार काले धब्बे बना देता है और इसके फल कटे कटे दिखाई देने लगते है और ये रोग उसकी पत्ती यो को भी प्रभावित करता हो इसकी पत्तिया को टेढ़ी कर देता है और पत्तिया समय से पहले गिर जाती है और बाविस्टिन या मैकोजेब का स्प्रे करने से इसके ऊपर नियत्रण ला सकते है 

इसके अलाव कही रोग सेब के पौधे के अंदर लगते है जिसमे सेब मोरुठ,जैसे भी रोग लगने की संभावना होती है

सेब के खेती मे तुड़ाई और पैदावार

सेब की खेती के अंदर फल पककर 130 से 140 दिन के अंदर तैयार हो जाता है इस के पाढे मे फल धीरे धीरे आना शुरू होता है ये जाब पूरा आकर ले रंग बदल के तैयार हो जाए तब वो तुड़ाई के लिए तैयार है उसके साथ साथ उसके आकर और चमक के साथ अलग कर लेना चाइये जिसकी मदद से मार्केट में भाव बढ़िया मिल सके 

सेब का पौधा 3 साल बाद फल देना शुरू करता है सेब के पौधे 4 साल बाद 80% फल देते है और 6 साल बाद पूरी तरह विकसित हो जाने के बाद पुरे फल देने लगता है अगर सेब की पैदावार की बात करे तो एक एकड़ के अंदर 400 जितने पौधे लगा सकते है जिससे किसान एक बढ़िया कमाई कर सकते है

सारांश

हमने आपको इस लेख के अंदर सेब की खेती (seb ki kheti) के बारेमे जानकारी दी है तो आपको इस लेख को ध्यान से पढ़े और पसंद आये तो अपने दोस्तों को जरुर शेर करे

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