makke ki kheti | हायब्रिड मक्के की खेती से किसान कमाते है लाखो रूपये

makke ki kheti | हायब्रिड मक्के की खेती से किसान कमाते है लाखो रूपये

makke ki kheti | हायब्रिड मक्का की खेती से किसान कमाते है लाखो रूपये नमस्कार आप सभीका हमारे लेख मे स्वागत है हम आपके लिए हररोज नई जानकारी लेके आते रहेते है हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है हमारे देशमे 75% प्रतीषद किसान खेती करते है इनमे से कही राज्यों के अंदर मक्के की खेती होती है गुजरात,महाराष्ट्र,कर्णाटक,मध्यप्रदेश केरला,तेलंगाना जैसे राज्य के अंदर मक्के की खेती होती है मक्के का उपयोग खाने के लिए किया जाता है मक्के की खेती धान का प्रमुख स्त्रोत है इस का उपयोग मनुष्य और पशुओ के लिए  आहार का मुख्य स्त्रोत है आज  हम आपको इस लेख के अंदर मक्के की खेती कैसे होती है जमीन कैसी चाइये पानी खाद दवाई और खेती करने के समय और उसके साथ साथ उसके बारेमे सभी जानकारी इस लेख के अंदर लेंगे तो आप इस लेख को ध्यान से पढ़े 

makke ki kheti | हायब्रिड मक्के की खेती से किसान कमाते है लाखो रूपये

Table of Contents

मक्के की खेती के लिए जमीन (makke kee khetee ke lie jameen)

 मक्के की खेती आमतोर पर सभी प्रकार की जमीन मे कीजा सकती है लेकिन किसान बहोत बढ़िया और फलद्रुप और गुवात्ता युक्त जमीन मे करे तो फायदा कारक रहेता है लेकिन मक्के की खेती के लिए अपनी जमीन मे बुलई मिटयार और पानी निकास की वव्यवस्था होनी जरुरी है 5 से 7.5 ph की जमीन सभी प्रकार की खेती के लिए उत्तम होती है और उस जमीन को उपयोगी माना जाता है

मक्के की खेती के लिए तापमान (makke ki kheti ke liye taapamaan)

अगर किसान मक्के की खेती करते है तो उसके लिए आवशक तापमान होना जरुरी है मक्के की फसल उचीत तापमान के साथ करने मे आये तो उसके दाने का बढ़िया तरीके से आते है उसके साथ साथ पौधे की वृधि भी बढ़िया तरीके से होती है मक्के की खेती के तापमान की बात करे तो इसको सामन्य तापमान की जरुरत होती है उसके शरुआती के समय मे इस पौधे को वुद्री होने मे नर्मी की जरुरत होती है 20 से 25 डिग्री टेम्प्रेचर पौधे की वुद्री के लिए और 28 से 30 डिग्री तापमान पौधे के विकास के लिए बढ़िया होता है

मक्के की खेती के लिए खेत तैयार करना (makke ki kheti ke lie khet taiyaar karana)

मक्के की खेती एक खरीफ पाक है आपको मक्के की खेती की तैयारी आपको जून और माह महीने से चालु कर देनी चाइये आपको मक्के की खेती के लिए खेत की उंडी जुताई करना फायदा कारक रहेता है मक्के की खेती के लिए आपको सबसे पहले कल्टीवेटर के साथ में पाटा लगाकर खेतमे जुताई कर लेनी है और पाटे की मदद से आपको खेत की मिट्टी को भुरभूरी बनालेना है 

खेत की बढ़िया जुताई करने के बाद उसके अंदर आपको खेत की तैयारी के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद आपको 6 से 7 टन डालनि है और आपके खेत के अंदर जस्ते की कमी है तो आपको 25 किलो जिंक सल्फेट को आपके खेत के अंदर डालना है उसके बाद दुबारा से आपकी खेत की बढ़िया तरीके से जुताई कर ले उसके साथ खाद और उर्वरक आपके क्वोलेटी के ऊपर निर्भर करता है

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मक्के की बुआई का समय (makke ki buai ka samay)

मक्के की खेती आप किस सीजन के अंदर करते हो उसके ऊपर उसका समय निर्भर करता है 

खरीफ – जुन से जुलाई माह तक 

रबि  – अक्टूबर से नवम्बर माह तक

जायद  – फरवरी से मार्च माह तक 

अगर आप मक्के की खेती करते होतो आप अपने विस्तार के अंदर खेत मे भराने पानी की समस्या है तो आप मक्के की खेती को बेड के ऊपर करे क्योकि पानी भराने से बजह से साइड मे भरे और उसकी जड़ो को ख़राब ना करे

मक्के की उन्नत किस्मे (makke ki unnat kisme)

मक्के की क़िस्म के प्रकार उसके पकने के समय की अवुधि के ऊपर होते है

मक्के की जल्द से तैयार होने वाली किस्म (75 दिन से कम)

जवाहर मक्का – 8,नंद ,विवेक-4, विवेक-17, विवेक-43, विवेक-42, प्रताप हाइब्रिड मक्का-1

माध्यम तैयार होने वाकी मक्के की किस्म (85 दिन से कम)

जवाहर मक्का-12, अमर, आजाद कमल, पंत संकुल मक्का-3, चन्द्रमणी, प्रताप-3, विकास मक्का-421, हिम-129, डीएचएम-107, डीएचएम-109, पूसा अरली हाइब्रिड मक्का-1, पूसा अरली हाइब्रिड मक्का-2, प्रकाश, पी.एम.एच-5, प्रो-368, एक्स-3342, डीके सी-7074, जेकेएमएच-175, हाईशेल एवं बायो-9637

सामान्य समय पे होने वाली किस्म (95 दिन से कम)

जवाहर मक्का-216, एचएम-10, एचएम-4, प्रताप-5, पी-3441, एनके-21, केएमएच-3426, केएमएच-3712, एनएमएच-803 , बिस्को-2418

लंबे समय की मक्के की क़िस्म (95 दिन से ज्यादा)

त्रिसुलता, डेक्कन-101, डेक्कन-103, डेक्कन-105, एचएम-11, एचक्यूपीएम-4, सरताज, प्रो-311, बायो-9681, सीड टैक-2324, बिस्को-855, एनके 6240, एसएमएच-3904.

आप अपने विस्तार के टेम्प्रेचर पानी की समास्या वो सब ध्यान मे रखकर आप आपने किसी अनुभवी के साथ बात करके करे और नजदीक के बिज केंद्र बात करके आप किसीभी क़िस्म का उपयोग करे ये किस्म सिर्फ जानकारी के लिए बताया है आप अपने विस्तार के मुजब आप क़िस्म का उपयोग करे

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मक्के का बिज का प्रमाण(makke ka bij ka pramaan)

संकर जाती के बिज की मात्रा 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टर 

अगर आप कम्पोजिट जाती के बिज की मात्रा आप 15 से 20 किलो प्रति हेक्टर होती है 

अगर आप हरे चारे के लिए मक्के की खेती करते है तो बिज की मात्रा 40 से 45 किलो प्रति हेक्टर होती है

मक्के की बुआई करने का तरीका (makke kee buae karane ka tareeka)

आप मक्के की बुआई के लिए आप प्लान्टर का उपयोग कर सकते है प्लान्टर की मदद से मेड के ऊपर 3 से 5 से.मी की गहराई पे करनी जिसकी वजह से उर्वक के लिए खाद और बीजको एकही बार में पंहुचा सकते है अगर आप चारे के लिए बुआई करते है तो सीडड्रील की मदद से करनी चाइये बुआई करते समय  बेड के ऊपर आपको पीछे पैर चलना चाइये और बारिश का सीजन शुरू होते ही आपको बुआई कर लेनी चाइये अगर आपके पास सिंचाई के लिए पानी और साधन है तो 10 से 12 दिन पहले आपको बुआई कर लेनी चाइए जिसकी मदद से आपको बढ़िया पैदावार दिखने मिल सकती है  जल्द से तैयार होने वाली किस्म लाइन  से लाइन 60 से.मी. पौधे से पौधे-20 से.मी,माध्यम तैयार होने वाकी मक्के की किस्म (85 दिन से कम) समय वाले मे  लाइन  से लाइन -75 से.मी. पौधे से पौधे-25 से.मी. हरे चारे के लिए :- लाइन  से लाइन 40 से.मी. पौधे से पौधे-25 से.मी इस तरीके से जगह रखनी होती है  
मक्के की बुआई अलग आलग समय पर भी की जाती है जैसे की जुन से जुलाई माह तक,अक्टूबर से नवम्बर माह ,तक फरवरी से मार्च माह तक इस तरीके से मक्के की बुआई अलग-अलग समय पर कि जाती है

मक्के के खेत में सिंचाई खपत वार (makke ke khet mein sinchayee khapat vaar)

एक मक्के के पौधे को तैयार होने में लगभग 500 से 600 मीली  पानी चाइये होता है मक्के के अंदर पहली सिंचाई बुआई के बाद तुरंत कर देनी चाइये और उसके बाद पौधे के अंदर जब दाने आने लगे तब सिंचाई की आवशकता होती है इसके अलावा बिज के रोपाई के समय के अनुसार सिंचाई करनी होती है  मक्के की खेत में खपतवार निंदाई की बहोत जरुरत होती है आप खपत वार नियंत्रण के लिए आपको निंदाई -गुड़ाई जैसे पद्धति का उपयोग करना चैये मक्के की खेत में 20 से 30 दिन के समय पर आपको निंदाई करनी चाइए अगर आपको जरुरत लगे तो आपको सिंचाई करनी चाइये और उसके साथ N.p,k जैसे खाद 25 kg हेक्टर के हिसाब से देना चाइये

मक्के के खेत में लगने वाले रोग और उनको रोकने के उपाय (lagane wale rog aur un ko rokne ke upay)

मक्के के खेत के अंदर कही प्रकार के रोग लग सकते है जिसके बारे मे जानकारी निचे दी है

डाउनी मिल्डयू

डाउनी मिल्डयू रोग मक्के को निकल ने के बाद 2 से 3 हप्ते के अंदर लगता है इसके अन्दर सबसे पहले पतियों के ऊपर धारिया पड़ जाती है और उसके अटेक किया हिस्से पर सफ़ेद रूई जैसे दीखते है और पौधे की बढावर रुक जाती है इसके उपाय के लिए आपको डायथेन एम-45 दवा को आवश्यक पानी में 3-4 स्प्रे करने से इसको रोका जा सकता है

पत्ति इलुजा रोग

इस रोग निचे की पत्ती ओ से बढ़कर उपर की तरफ आता है और इसके साथ साथ पत्तीओ के ऊपर लम्बे नाव आकार के धब्बे पड़ते है आपको इसके लक्षण दीखते है आप  जिनेब का 0.12% के घोल का छिड़काव करने से इससे बचाया जा सकता है

तना मक्खी रोग

ये रोग फसल मे बसंत रुतु के अंदर देखने के लिए मिलता है इस रोग लगने के बाद पौधे को खोखला बना देता है जिसकी वजह से पौधा पूरा ख़त्म हो जाता है जिसकी वजह से ये रोकना जरुरी होता है इसे रोकने के लिए फिप्रोनिल की 2 से 3 मिली लीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी के हिसाब से मक्के की फसल के पर स्प्रे करना चाइये

तना भेदज सूंड़ी रोग

इस तरह का रोग उसके तने से अंदर जाकर उसे सूखा बनादेती है जिसे तना सुख के नाम से जाना जाता है ये पौधे को नष्ट बना देती है क्विनाल फोर्स 30 या कोलोरेनट्रानिल की उचित मात्रा मे छिड़काव कर इसको रोक सकते है

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मकके की तुड़ाई और पैद वार (makke ki tudaee aur paid vaar)

मकके की फलो कि तुड़ाई उसके उनत्त किस्म के ऊपर निर्भर करता है मक्के की फल की कटाई जब 20 से 25% नर्म हो तब उसकी तुड़ाई कर लेनी चाइये उसकी तुड़ाई के बाद उसकी गह्नाई की जाती है उसके बाद उसके दाने को अलग किया जाता है उसके दाने के लिए आप थेसर का उपयोग किया जाता है आप मक्के को सुकाने के बाद आप थेसर का उपयोग की मदद से आप मक्के को अलग किया जाता है आप मक्के के दाने को अलग करने के बाद आपको धुप मे सुकाया जाता है 

अब मक्के की पैदावार की बात करे तो सामान्य क़िस्म के पैदावार 40 से 50 क्विन्टल  हेक्टर उत्पादन मिल सकता है उसके बाद संकर किस्म की बात करे तो 50 से 60 क्विन्टल प्रति हेक्टर मिल सकता है मक्के का भाव की बात करे तो 20 से 25 रूपये हो सकता है तो किसान भाई बहोत बढ़िया तरीके से कमाई कर सकते है

मक्के की फसल से कमाई (makki ki fasal se kamaee)

आप मक्के की खेती कर के किसान एक बढ़िया कमाई कर सकते आप मक्के की खेती के साथ आप मूंगफली,मुंग,गेहू,बाजरी,सोयाबीन,तिल वो सब की खेती किसान करते है

सारांश

हमने आपको इस लेख के अंदर मक्के की खेती किस तरह से होती है उसके बारे मे जानकारी दी है तो आप इस लेख को जरुर पढ़े और  पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेर करे

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FAQ:-

मक्के की खेती कौन से महीने में की जाती है?

मक्के की खेती आप किस सीजन के अंदर करते हो उसके ऊपर उसका समय निर्भर करता है 
खरीफ – जुन से जुलाई माह तक 
रबि  – अक्टूबर से नवम्बर माह तक
जायद  – फरवरी से मार्च माह तक 

मक्के की खेती कब और कैसे करें?

अगर आप मक्के की खेती करना चाहते हो तो आपको इस समय के अंदर करनी चाइये खरीफ – जुन से जुलाई माह तक,रबि  – अक्टूबर से नवम्बर माह तक,जायद  – फरवरी से मार्च माह तक 

मक्का की खेती कितने दिन में तैयार हो जाती है?

मक्का की खेती उसके क़िस्म के प्रजाति के ऊपर निर्भर करता है जिसमे सब अलग अलग समय के आती है 75 दिन से कम समय के ,85 दिन के कम समय के,90 दिन से कम समय के

1 एकड़ में मक्का का बीज कितना लगता है?

मक्के की बिज की मात्रा अलग अलग होती है संकर जाती के बिज की मात्रा 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टर अगर आप कम्पोजिट जाती के बिज की मात्रा आप 15 से 20 किलो प्रति हेक्टर होती है 
अगर आप हरे चारे के लिए मक्के की खेती करते है तो बिज की मात्रा 40 से 45 किलो प्रति हेक्टर होती है

1 एकड़ में मक्का कितना होता है?

1 एकड़ में मक्का की पैदावार की बात करे तो एक हेक्टर में से 30 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टर हो सकता है अगर उससे एक किस्म के आधीन उससे ज्यादा भी हो सकता है

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