अदरख की खेती,अदरक की खेती का समय

अदरख की खेती,अदरक की खेती का समय

अदरख की खेती:अदरक की खेती का समय: नमस्कार दोस्तों आप सभिका हमारे वेबसाइट yojanakisan.com पर स्वागत करते है जिसके अंदर आपको किसान के लिए खेती की जानकारी और योजना की जानकारी लेके आते है मे हम यहा पर आपको खेती की जानकारी और उसके लिए नई तकनीक के बारे मे जानकारी देते रहते है आज हम आपको इस लेख के अंदर आपको अदरख की खेती की जानकारी देंगे 

अदरख की खेती के लिए मिट्टी 

यह फसल उच्च गुणवत्ता वाली चिकनी, रेतली, और लाल हर मिट्टी में बढ़ी हुई है। फसल को सही ढंग से उगाने के लिए, खेत में पानी का सही स्तर बनाए रखना आवश्यक है, जिससे फसल को आवश्यक ठंडक और नमी मिल सके। मिट्टी का पीएच स्तर 6-6.5 के बीच होना चाहिए ताकि फसल को सही पोषण प्राप्त हो सके। इसके अलावा, उगाने के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करते समय ध्यान देना चाहिए कि पिछले बार उसी जगह पर अदरक की फसल नहीं थी, ताकि भूमि में समता बनी रहे और फसल को सही रूप से विकसित होने में मदद मिले। इससे फसल की प्रतिफल बढ़ सकती है और किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

अदरख की खेती के लिए जलवायु 

यह फसल उन क्षेत्रों के लिए अनुकूल है जो मध्यम तापमान और नमी में बढ़ता है। इसे समुद्र तल से 1500 मीटर की ऊचाईयों पर उगाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसका सही विकास समुद्र तल से 300 मीटर से 900 मीटर की ऊचाईयों में भी संभावनाओं से भरपूर है। इसके लिए चयन करते समय, वर्षा की मात्रा में समानता बनाए रखने वाले क्षेत्रों की प्राथमिकता देना चाहिए, ताकि फसल को सही नमी प्राप्त हो सके।अदरक की खेती के लिए सफल प्रबंधन के लिए उपयुक्त भूमि और मौसम की चयन में महत्वपूर्ण भूमिका है। सही समय और स्थान का चयन करने से फसल को उच्च उत्पादकता के साथ बेहतर विकास की संभावना होती है। इसके साथ ही, यदि खेती क्षेत्रों में नियमित पानी प्रदान किया जाता है तो सुनिश्चित होता है कि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी फसल को पूर्ण रूप से पोषित किया जा सकता है।

अदरख की खेती के लिए खेत तैयारी 

खेत को तीन बार जोतने और सुहागे से समतल करने का तरीका एक विवेकपूर्ण और प्रभावी उपाय है। अदरक की बिजाई के लिए, 15 सैं.मी. ऊंचे और 1 मीटर चौड़े बैड बनाएं, जिनके बीच 50 सैं.मी. का फासला हो। खेत की दो बार जुताई करने के बाद, मिट्टी को चूर्णित करने के लिए हैरो से खेत की जुताई करें। प्रति अकड़ में 2 – 4 टन गोबर की खाद को खेत में मिलाएं। बारानी फसल के लिए, भूमि को 1 मीटर चौड़ाई और 15 सैं.मी. की सुविधाजनक लंबाई की उठी हुई क्यारियों में विभाजित करें। खेत को दो तीन बार जोतने और सुहागे से समतल करने की विधि एक व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है जो अदरक की बिजाई को सफलता से पूरा कर सकती है। बैड की ऊंचाई, चौड़ाई, और फासले का सही से पालन करने से फसल को आवश्यक समर्थन मिलता है। खेत की जुताई के बाद, हैरो से मिट्टी को चूर्णित करने और गोबर की खाद को मिलाने से भूमि को और भी उपयुक्तता मिलती है। बारानी फसल के लिए, भूमि को विशेष रूप से तैयार किया जाता है, जिससे सही समय पर उगाई गई फसल को सुरक्षितता और ऊर्जा मिलती है।

बीज उपचार 

बीजों को बोने जाने से पहले, गांठों को मैनकोजेब से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया के दौरान, गांठों को 30 मिनट के लिए मैनकोजेब घोल में भिगोकर फफूंदी से मुक्ति प्रदान की जा सकती है। इसके बाद, गांठों को 3-4 घंटे के लिए छांव में सुखाना चाहिए, जिससे उन्हें और भी सुरक्षित बनाया जा सकता है। इसके बाद, बोने जाने वाले बीजों को स्यूडोमोनास द्वारा भिगोकर छाया में सुखाना चाहिए, जिससे प्रसुप्ति में वृद्धि हो और गांठों का अंकुरण रोग से रक्षा की जा सके। बोने जाने वाले बीजों के पूर्व, गांठों को मैनकोजेब से 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से उपचार करना विशेष महत्वपूर्ण है। इसके द्वारा, गांठों को 30 मिनट के लिए भिगोकर उन्हें फफूंदी से मुक्ति प्रदान की जा सकती है, जो उन्हें विषाक्तता से बचाए रखती है। इसके बाद, गांठों को 3-4 घंटे तक छांव में सुखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया के बाद, बोने जाने वाले बीजों को स्यूडोमोनास द्वारा भिगोकर छाया में सुखाना चाहिए, जिससे गांठों का अंकुरण रोग से सुरक्षा हो सकती है और फसल को बेहतर प्रस्तुत किया जा सकता है। 

अदरक की बुआई 

बीज बोने से पहले, हर हेक्टेयर पर 25–30 किग्रा गोबर की खाद और 4 किग्रा स्यूडोमोनास के मिश्रण को क्यारियों पर डालें। 2 टन नीम की खली का चूर्ण प्रति हेक्टेयर जड़ को सड़न रोग से बचाता है। बीज को फिर २० से २५ सेंटीमीटर की दूरी पर बोया जा सकता है। रोपाई 5 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए। रोपण करने के बाद बालू की पलवार करनी चाहिए। बुआई की तिथि से 25 से 35 दिन तक मिट्टी की नमी क्रमशः बढ़ने लगेगी।  

खाद प्रबंधन 

बेहतर उपज और गुणवत्ता पाने के लिए, अदरक को पूरी फसल के लिए उचित खाद चाहिए। खेत की तैयारी के दौरान दो से तीन टन गोबर की गली को मिट्टी में मिलाना बेहतर है। एनपीके ४०:३० किग्रा/एकड़ भी लगाना चाहिए।रोपण के दौरान पूरी खुराक का 1/3 फास्फोरस, पोटैशियम और नाइट्रोजन का उपयोग करना चाहिए। 45 दिन बाद फसल में 1/3 मात्रा में नाइट्रोजन डालें। फिर ९० से ९५ दिनों के बाद अतिरिक्त मात्रा दी जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि फसल को सही समय पर पर्याप्त पोषण मिलता है, जिससे उसकी गुणवत्ता और सुगंध बनी रहती है।

अदरख की खेती मे खपतवार 

अदरक की खेती के दौरान खरपतवार दो बार नियंत्रित किए जाते हैं। मल्चिंग लगाने के लिए खरपतवार को पहली और दूसरी बार निकालने से पहले ४५ से ६० दिनों के अंतराल पर हटा देना चाहिए। जब हम खरपतवार निकालते हैं, तो पौधे को तने और जड़ को प्रभावित किए बिना देखभाल करना चाहिए। निराई करने के बाद मिट्टी चढ़ा दी जाएगी।

अदरख की खेती मे सिंचाई 

1320–1520 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है, ताकि अदरक अधिक उत्पादन दे सके। अप्रैल से मई तक, आवश्यक नमी को बनाए रखने के लिए मिट्टी को हर सप्ताह दो से चार बार पानी देना चाहिए। वर्षा नहीं होने पर 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए। बीज कंद अंकुरण और कंद उत्पादन दोनों के लिए अदरक को पानी की जरूरत होती है। सिंचाई की व्यापकता को आवर्ती और वर्षा की तीव्रता के आधार पर नियंत्रित करें।पचास क्विंटल हरे पत्ते प्रति एकड़ पर बीजाई के बाद फसल को ढक दें। 20 क्विंटल हरे पत्ते प्रति एकड़ खाद के बाद फसल को फिर से ढकें। यह एक सुरक्षित पूर्वावधि है जो अदरक की उन्नत और गुणवत्ता सभर है

अदरख की खेती की कटाई 

रोपण की तारीख से आठ महीने के भीतर, अदरक का पौधा कटाई के लिए तैयार हो जाता है। भूरी पत्तियाँ नीचे से ऊपर तक सूखने तक आगमन बिंदुओं पर कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। अदरक का तेल निकालने के लिए इस स्थिति को काटा जाना चाहिए। उपयोग किए गए बीज कंद द्वारा पत्तियों को शुष्क अवस्था में काटा जाता है।कटी हुई अदरक को सूखे पत्तों, जड़ों और कंदों से निकालकर, चिपकी हुई मिट्टी से निकालकर, पानी से धोकर छाया में सुखाया जाता है। सब्जी और पकाने में प्रयुक्त होने वाले अदरक की तुड़ाई बुवाई के पाँचवें महीने से कर लेनी चाहिए। इस अपरिपक्व कटी हुई अदरक में कम क्षारीयता और फाइबर होता है। यह फसल 8 महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यदि फसल का प्रयोग मसाले बनाने के लिए करना हो तो 6 महीने बाद कटाई करें और यदि नए उत्पाद बनाने के लिए प्रयोग करना हो तो फसल की कटाई 8 महीने बाद करें। जब पत्ते पीले हो जायें और पूरी तरह सूख जायें तब कटाई के लिए सही समय होता है। गांठों को उखाड़कर बाहर निकालें और 2-3 बार पानी से धोकर साफ करें। फिर 2-3 दिनों के लिए छांव में सुखाएं।

सारांश:-

हमने आपको इस लेख के अंदर बताया है की आप अदरख की खेती कैसे करते है और पैसे कैसे कमा सकते है हम आशा करते है की आपको ये लेख पसंद आया होगा तो ये लेख दूसरे किसान भाई तक जरूर भेजे और एसी ही जानकारी पाने के लिए हमारे ग्रुप मे जुड़े 

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