जीरे की खेती कैसे करे,जीरे की खेती का सही समय,जीरे की दावा

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जीरे की खेती कैसे करे,जीरे की खेती का सही समय,जीरे की दावा

जीरा की खेती कैसे करे,जीरे की खेती का सही समय,जीरे की दावा:- नमस्कार दोस्तों आप साभिका हमारे लेख के अंदर स्वागत है हम आपके लिए हररोज नई जानकारी लेके आते रहते है जिसके अंदर हम किसानों के लिए खेती की जानकारी और उससे जुड़ी सभी योजना की जानकारी लेके आते रहते है आज हम लेके आए है की काही किसान जीरा की फसल की खेती करते है और लाखों रुपये कमाते है आज के लेख के अंदर हम बताएंगे की जीरा की खेती किस प्रकार से होती है खेती करने का सही समय उसके अंदर सिंचाई वो सब जानकारी दी है तो आप इस लेक को ध्यान से पढे

जीरे की खेती के लिए मिट्टी

जीरा की खेती करने के लिए आपको जमीन के दोमट मिट्टी की जरूरत है जीरा की खेती आमतौर पर सभी प्रकार की खेती मे होता है आपकी जमीन की जीरा की खेती के लिए आपको जामीन की ph 5 से 7 होनी चाइए ये जमीन बहुत बाधिया होती है जीरा की खेती को कम पानी की जरुरत होती है इसके कारण आपको खेत मे से पानी निकाल जाना चाइए कहि पर भरा रहेना चाइए नहीं

जीरे की खेती कैसे करे

जीरे की खेती के लिए पहले खेत की तैयारी करें। इसके लिए मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई करें और देशी हल या हैरो से दो या तीन उथली जुताई करके पाटा लगाएं ताकि खेत समतल हो जाए।

खेत को समतल करने के बाद, 5 से 8 फीट की क्यारीयां बनाएं। ध्यान दें कि क्यारियों का सामानार्थक आकार हो ताकि बुआई और सिंचाई में सुविधा हो।

अब, प्रति बीघा के हिसाब से 2 किलो जीरे के बीज लें और 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा के साथ उपचारित करें।

बुआई के लिए, हमेशा 30 सेमी की दूरी में कतारों में बुआई करें। कतारों में बुआई करने के लिए सीड ड्रिल का उपयोग करें ताकि बुआई की प्रक्रिया आसान हो।

इस प्रकार, जीरे की खेती के लिए उपयुक्त तैयारी करके, सही दवाओं का उपयोग करके, और उचित तरीके से बुआई करके आप अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

जीरे की खेती मे काद उर्वरक

बुआई से 2-3 सप्ताह पहले, गोबर खाद को भूमि में मिलाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह खाद भूमि को सुरक्षित करने में मदद करती है और पौधों को आवश्यक पोषण प्रदान करती है।

खेत में कीटों की समस्या होने पर, बुआई से पहले, अंतिम जुताई के समय, क्विनालफॉस 1.5 प्रतिशत, 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिलाना लाभकारी हो सकता है। इससे कीटों की गणना कम होती है और उनका प्रभावशाली समाधान होता है।

गोबर की खाद का उपयोग खेत में पहले ही की गई हो तो, जीरे की फसल के लिए अधिशेष खाद की आवश्यकता कम होती है। अगर यह संभावना नहीं है, तो 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जुताई से पहले गोबर की खाद को खेत में बिखेरना चाहिए।

इसके अलावा, जीरे की फसल को सही रूप से पोषित करने के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किलो नत्रजन, 20 किलो फॉस्फोरस, और 15 किलो पोटाश उर्वरक प्रदान करें। फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुआई से पहले, आखिरी जुलाई के समय, और नत्रजन की आधी मात्रा बुआई के 30 से 35 दिन बाद सिंचाई के साथ प्रदान करें। इस तरह, आप अपनी जीरे की खेती को सफलता से पूर्ण कर सकते हैं।

जीरे की खेत मे सिंचाई

जीरे की बुवाई के तुरंत बाद, एक हल्की सिंचाई का प्रारंभ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सिंचाई से जीरे की बुआई को अच्छी तरह से गीला रखा जा सकता है और बीजों को उचित पोषण प्रदान होता है।

जीरे की बुवाई के 8 से 10 दिन बाद, एक और हल्की सिंचाई का प्रदान करना उत्तम है। इससे जीरे का पूर्णरूप से अंकुरण हो सकता है और पौधों को सही मात्रा में पानी प्राप्त होता है।

अगर आवश्यकता हो, तो 8-10 दिन बाद एक और हल्की सिंचाई की जा सकती है, लेकिन सावधानी बरतते हुए।

इसके बाद, जीरे के पौधों में वृद्धि के साथ, 20 दिन के अंतराल पर दाना बनने तक तीन और सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रखें कि दाना पकने के समय और बुआई के बाद सिंचाई करना बीज की भरपूर विकास के लिए महत्वपूर्ण है। बीज हल्का होने की समस्या से बचने के लिए इसे प्रतिबंधित करें।

खेत मे खपतवार नियंत्रण

जीरे की फसल में खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए, बुआई के बाद सिंचाई के दूसरे दिन, पेडिंमिथेलीन खरतपतवार नाशक दवा का उपयोग कर सकते हैं। 1.0 किलो सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर के लिए 500 लीटर पानी में घोल बनाएं और इसे समान रूप से फसल पर छिड़कें।

इस तरीके से किया गया छिड़काव फसल में खरपतवार को नष्ट करने में मदद कर सकता है।

इसके बाद, जब फसल 25-30 दिन की हो जाए, तो एक गुड़ाई का प्रयास करें। यह फसल को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कीटाणुओं के प्रभावी नियंत्रण में भी मदद कर सकता है। गुड़ाई के लिए उपयुक्त औषधियों का चयन करें और उन्हें विशेषज्ञ के साथ सुनिश्चित करें।

इस प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक और सुरक्षित तरीके से करने के लिए सुनिश्चित हों कि आप उपयुक्त सुरक्षा उपायों का पालन कर रहे हैं और खराब मौसम की स्थितियों में इसे स्थगित करें।

जीरे की कटाई

जब जीरे के बीज और पौधे भूरे रंग का हो जाएं और फसल पूरी तरह से पक जाए, तो तुरंत इसे काट लेना चाहिए। पौधों को अच्छी तरह से सुखाकर, हमने थ्रेसर का सही उपयोग करके मंडाई की जानी चाहिए। यह स्थिति को सुधारकर और बीजों को सुरक्षित रूप से निकालने में मदद करेगा।

इसके बाद, जब फसल पूरी तरह से पक जाए, तो उसे त्वरितता से काट लेना चाहिए। इस समय पर कटाई करने से फसल की गुणवत्ता बनी रहती है और बीज भी उत्तम स्थिति में रहते हैं।

पौधों को सुखाने के बाद, हमें साफ बोरों में इसका भंडारण करना चाहिए। यह निर्देशन बीजों की गुणवत्ता को सुरक्षित रखने में मदद करेगा और भविष्य में उनका उपयोग करने में सहारा प्रदान करेगा।

इस प्रकार, उचित तकनीक का पालन करते हुए, हम जीरे की फसल को सही समय पर काटकर और सुरक्षित भंडारण करके श्रेष्ठ उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

सारांश :-

किसान भाई आमने इस लेख के अंदर पूरे विस्तार से जीरे की खेती की जानकारी दी है अगर ये लेख पसंद आए तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेर धन्यवाद

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