करो इस विदेशी फल की खेती किसान होंगे माला माल एवोकाडो की खेती | Avocado kheti

करो इस विदेशी फल की खेती किसान होंगे माला माल एवोकाडो की खेती | Avocado kheti

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नमस्कार दोस्तो आप सभीका हमारे लेख में स्वागत है हम आपके लिए हररोज नई जानकारी लेके आते रहते है जिसमे सरकारी योजना खेती और उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के बारे मे जानकारी लेके आते रहते है आज हम आपको एक विदेशी फल की खेती के बारे में बताएंगे जिसकी बाजार में ज्यादा से ज्यादा कीमत में बिकती है इस फल का नाम आवोकाडो है तो चलिए जानते है कि इस फल की खेती किस तरह से की जाती है तो जानकारी के लिए हमारा लेख को पूरा पढ़े

करो इस विदेशी फल की खेती किसान होंगे माला माल एवोकाडो की खेती | Avocado kheti

Avocado kheti(एवोकाडो की खेती)

एवोकाडो एक विदेशी फ्रूट है इसकी खेती पहले दक्षिण मध्य के मेक्सिको में होता था एवोकाडो का फल जहा पर गर्म जलवायु होता  है वहा पर होत है भारत में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ के आगे बढ़ रहा ही अब इसको भारत में भी होने लगा है इस फल की डिमांड सिर्फ भारत में नहीं लेकिन दुसरे देश में भी रहती है इस की बाजार की कीमत एवोकाडो की ज्यादा डिमांड होने की वजह से भारतीय किसान इसकी खेती करके लाखो का मुनाफा कमा सकते है आगे हम देखेंगे की भारत में Avocado kheti किस तरीके से किया जाता है

Avocado ki kheti in india (भारत में एवोकाडो कि खेती कैसे होती है)

एवोकाडॉ एक विदेशी फ्रूट है वो पहले वो दक्षिण मेक्सिको के में ही होता था अब भारत मे भी  होने लगी है भारत  मे एवोकाडो की खेती गर्म और शुष्क जलवायु जहा पर रहेता है  उस क्षेत्र के अंदर इसको उगाया जाता ही इस को गरमी और कम पानी की आवश्कता होती है उस लिए एवोकाडो के लिए टपक सिंचाई सिस्टम का उपयोग होता है और उसके आलावा जहा पर इस फ्रूट की डिमांड ज्यादा होती है वहा पर इसकी डिमांड ज्यादा होती है वहा पर इस की खेती होती है

Avocado farming process एवोकाडो की खेती की प्रोसेस

एवोकाडो की खेती एक बागबानी खेती है जिसके अंदर किसान इसकी खेती कर के अधिकतम मुनाफा कमा सकते है एवोकाडो की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले सही बीज का चयन करना चाइये क्यों कि वो अधिकतम स्थानीय मौसम के साथ मेल खाता रहे और उसके अलावा वो मिट्टी की तैयारी में भी उचित मात्रा में कंपोस्ट और जल संरक्षण कर सके 

एवोकाडो की खेती में पानी की भी बहुत जरूरत होती है उस लिए पानी संरक्षण करना बहोत जरूरी है उसके अलावा पौधों उर्वरक और उपचार करना बहोत जरूरी है और एवो काडो को रोग से बचना बहोत जरूरी है.

एवोकैडो की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

एवोकाडो दक्षिण अमेरिका का एक पौधा है अब जो भारत मे भी इसकी खेती पॉसिबल है लेकिन ये एक उष्णकटिबंधीय जलवायु होना जरूरी है इस पौधे को 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्र में जहाँ पर 60 से 70 प्रतिषद नमी बनी रहती है तो इस फल की बढ़िया पैदावार देखने को मिलती है उसके साथ ये पौधा शर्दी में 5 डिग्री तक तापमान को सहन कर सकती है और गर्मीयो में 40 डिग्री तक का तापमान सहन कर सकती है

एवोकाडो की खेती के लिए मिट्टी

आमतौर पर सभी प्रकार की मिट्टी में एवोकाडो की खेती कर सकते है उसके लेकिन लाल मिट्टी में एवोकाडो की खेती नही कर सकते उसका कारण एक ही है कि लाल मिट्टी पानी नही रुक पाता उस लिए खेती नही कर सकते तमिलनाडु केरल पंजाब हरियाणा उड़ीसा जैसे राज्य में इसकी खेती आसानी से कर सकते है इस के पौधे को 50 से 70 प्रतिषद नमी की जरूरत होती है भारत मे इसकी खेती पस्विम भाग से पूर्वी क्षेत्र तक इसकी खेती हो सकती है

एवोकाडो की उन्नत किसमे

आम तोर पर एवोकाडो की खेती करने के लिए उसकी कही किसमे उपलब्ध है उसके लेकिन उसमें से फुएर्टे, पिंकर्टन,हैस, पर्पल, पोलक, ग्रीन, पेराडेनिया पर्पल,हाइब्रिड ट्रैप ये किसमे ज्यादा पैदावार देने वाली है

एवोकाडो की खेती के लिए जमीन की तैयारी

एवोकाडो के बीज को नर्सरी में कोकोपिट में बेड पर सीधे तौर पर बुआई करते है और नर्सरी में बीजो को 6 माह तक उगाने तक के बाद खेत मे लगाने के लिए निकल लेते है सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर के खपतवार नियंत्रण करते है इसके बाद रोटावेटर चलकर मिट्टी को भुरभुरी बना लेते है उसके बाद उसमें पाटा लगा कर समतल बना लेते है उसके बाद खेत मे पौधा रोपाई करते है रोपाई के लिए 90X90 सेमि आकर वाली खड्डों में मिट्टी और खाद को 1:1 के अनुपात की स्थिति में मिलाकर मई जून माह में भर दिया जाता है बिहार की कृषि जलवायु में इसे जुलाई अगस्त में लगाना सही है पौधे को 8 से 10 मीटर की दूरी पर लगाना चाइये 

एवोकाडो में सिंचाई 

एवोकैडो के फलों को नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए खेत में पहली सिंचाई को पौध रोपाई के तुरंत बाद किया जाता है। इसके बाद, शुष्क और गर्म जलवायु में पौधों को 3 से 4 सप्ताहों में पानी देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्दियों के मौसम में, मोलचिंग विधि का उपयोग करके नमी की कमी से बचाव किया जा सकता है। बारिश के मौसम में, जब आवश्यकता हो, ही पौधों को पानी प्रदान करना चाहिए, और जल भराव होने पर खेत से पानी निकाल देना चाहिए। फसल की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का अधिकतम उपयोग करना यह सुनिश्चित करेगा कि पानी सही मात्रा में पौधों तक पहुंचे।

एवोकाडो की खेती में खपतवार और प्रबंध

एवोकाडो की फसल में खपतवार से बचाने के लिए निराई और गुड़ाई की जाती है इसके आंतरिक जब पौधे छोटे होते है तब रासायनिक तरीके से खपतवार को नियंत्रण की दवाई का उपयोग करके नष्ट किया जाता है 

एवोकाडो में लगने वाले रोग और किट

एवोकैडो की फसल में स्केल्स, मिली बग्स, और माइट्स जैसे सामान्य कीटों के आक्रमण का बचाव करने के लिए उपयुक्त कीटनाशक के रूप में डायमेथोएट 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है। एवोकाडो के खेत में फसल पर पत्ती का धब्बा, जड़ सड़न, और फलों का धब्बा रोगों के खिलाफ सावधानी बरतना जरूरी है।जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए, पौध रोपाई से पहले मिट्टी में रोको एम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर मिट्टी को भीगा देना चाहिए।इसके अलावा, फसल पर सामान्य जैव नियंत्रण के लिए भी प्राकृतिक उपायों का अनुसरण करना चाहिए, जैसे कि प्राकृतिक शत्रु-सम्बंधित कीटनाशकों का उपयोग करना, किसानों को उपयुक्त प्रशिक्षण देना, और सही खेती प्रथाओं का पालन करना।

ध्यान रखें कि किसी भी कीटनाशक का प्रयोग करते समय स्थानीय नियमों और निर्देशों का भी पालन करना चाहिए, ताकि पर्यावरण को किसी भी हानि से बचाया जा सके।

एवोकाडो की तुड़ाई

एवोकैडो का फल पौध रोपाई के 5 से 6 वर्षों के बाद तोड़ा जा सकता है। इस अवधि में, एवोकैडो के खेतों से दो प्रकार के फल प्राप्त होते हैं – हरा और बैगनी रंग का। बैगनी रंग के फल का रंग मैरून में परिवर्तित हो जाता है, जबकि हरे रंग के फल का रंग हरा से पीला हो जाता है। पूर्ण रूप से पैक किए जाने वाले एवोकैडो के फल का बीज पीले-सफेद से गहरे भूरे रंग का होता है। कटाई के बाद भी, इसके फल नरम होते हैं, और इन्हें पूरी तरह से पकने में 5 से 10 दिन का समय लगता है।

Avocado Price 1kg (एवोकाडो की कीमत)

एवोकाडो की उन्नत किसमे और उसकी ट्रीटमेंट के आधार पर फल प्राप्त करता है सामान्य तरीके से एक पेड़ के ऊपर 250 से 300 पेड़ की फल प्राप्त होते है जबकि 10 से 12 साल पुराना पेड़ में 300 से 500 फल की प्राप्ति हो सकती है 

एवोकाडो की बाजार भाव की बात करे तो ₹350 से लेकर ₹550 तक कि भाव मिलता है उसके अलावा उसकी डिमांड के ऊपर निर्भर करता है 

सारांश 

हमने आपको हमारे लेख के  अंदर बताया है कि आप किस तरीके से एवोकाडो की खेती कर सकते है और कमाई कर सकते हो इस लेख आपको पसंद आया हो तो दूसरे किसान के साथ जरूर शेर करे

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एवोकाडो का पौधा कितने दिन में फल देता है?

एवोकाडो का पौधा 5 से 6 साल में फल देता है बीज से उगाए गए पौधे 5 से 6 साल में फल देता है लेकिन उसमें बैगनी से मरून फल देता है और हरी किसमे पिला और हरे फल देते है

भारत में एवोकैडो की कीमत क्या है?

आम तौर पर एवोकाडो की फल की कीमत 350 से 550 त प्रति किलो होती है लेकिन उसके डिमांड के आधार पर भारत मे उसकी कीमत 1500 से 2000 प्रति किलो होती है

भारत में एवोकैडो कहां उगाए जाते हैं?

भारत मे एवोकाडो दक्षिण-मध्य भारत मे तमिलनाडु,केरल,महाराष्ट्र,कर्नाटक जैसे राज्य में कर सकते है

1 एकड़ में कितने एवोकैडो के पौधे उगाए जा सकते हैं?

एवोकाडो की खेती के अंदर 1 एकर में आप 150 से 165 पौधे लगाए जा सकते है इसके पौधे छत्री आकर के होते है

एवोकाडो को हिंदी में क्या कहते हैं?

एवोकाडो एक दक्षिण अमेरिका का फल है जिसका नाम भारत मे रुचिरा या मक्खन फल बोलते है

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