Aalu ki kheti | potato farming |आधुनिक तरीके से आलु की खेती करके किसान कमाते है लाखो रूपये

Aalu ki kheti | potato farming |आधुनिक तरीके से आलु की खेती करके किसान कमाते है लाखो रूपये

Aalu ki kheti | potato farming |आधुनिक तरीके से आलु की खेती करके किसान कमाते है लाखो रूपये :- नामास्कार दोस्तों आप सभीका हामारे ये लेख मे स्वागत है हम आपके लिए हररोज नइ जानकारी लेके आते रहते है हमारा देश एक खेती प्रधान देश 75% प्रतीषद किसान खेती करते है हमारे देश मे कही चीजो की खेती की जा सकती जेसे की धान्य,शाकभाजी,फुल वगेरे की खेती की जा सकती है आज हम आपके लिए आलु की खेती के बारे मे जानकारी देंगे आलु की खेती एक कंधमुल खेती है इस लिए इसके अंदर कंध तत्वों भरपूर मात्रा मे होते है आलू की खेती के राज्य की बात करे तो आलु की खेती सभी राज्य मे होती है आलु की खेती में लागत बहोत आती है लेकिन अगर अधतन टेक्नोलॉजी के मदद से करे गे तो लागत कम आ सकती है तो चलिए आलू की खेती के लिए अधिक जानकारी लेते है

आलु की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु (Soil and Climate for Potato Cultivation)

 किसान आलु की खेती हर प्रकार की जमीन जैसी की रेतीली,नमक वाली,मिट्टी मे और चिकनी मिट्टी जैसी हर प्रकार की मिट्टी के अंदर कर सकते है लेकिन आप अछेसे जल निकास और जैविकी तत्व से भरपूर जमीन के अंदर उगाते हो तो ये फसल की बढ़िया पैदावार दिखने के लिए मिल सकती है ये फसल को सभी प्रकार की जमीन मे उगाई जा सकती है लेकिन बहोत ज्यादा खारी और नमक वाली जमीन तेजाबी और बहोत पानी खड़े रहने वाली जमीन इस फसल के लिए उपहोगी नही है

उसके अलावा आलू की खेती के लिए जल वायु की बात करे रे तो इसके जब कंध बन रहेहो यानी कि आलु बैठ रहे है तब इसका टेम्प्रेचर 18 से 20 डिग्रिसेंटिग्रेट होना जरूरी होता है

आलु की खेती के लिए उन्नत किसमे (Improved Varieties for Potato Cultivation)

कुफरी बादशा

इस किस्म के पौधे लंबे और दिन प्रतिदिन 3स-4 तने बढ़ते है उसके अलावा ये क़िस्म 90 से 100 दिन के अंदर पक के तैयार हो जाता है इस किस्म के आलू गोलाकार उसके अलावा थोड़े हलके सफ़ेद होते है कुफरी बादशा क़िस्म के अंदर आगेतरी और  

कुफरी पुखराज

कुफरी पुखराज किस्म इसके मूल और तन दूसरे किस्म के मुताबित लंबेऔर मोटा होता है इस किस्म के आलु सफेद बड़े गोलाकार होते है इस किस्म के आलू के छिलके नर्म होते है और ये पुखराज किस्म 70 से 80 दिनों के अंदर पकती है और किसान मित्र इसकी पैदावार की बात करे तो 160 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है ये अगोतरी और पिछोतरी जैसे रोग की रोधक किस्म है नए उत्पादन के लिये उचित नही है

फुकरी अलंकार 

इस फसल पंजाब हरियाणा उत्तरप्रदेश जैसे राज्य के अंदर होता है इस किस्म को उगाने के लिए सिफारिश की जाती है ये लंबे कद की और मोटे तन वाली किस्म है यह फसल मैदानी इलाकों में 75 दिन में और पहाड़ी मेब140 दिनमे पंकती है इस के आलू एकदम गोलाकार होते है इसकी पैदावार 120 क्विंटल प्रति एकड़ हो सकता है 

जे एच -222

ये एक किस्म है कि जिसको दूसरा नाम जवाहर नाम से भी जाना जाता है ये किस्म आलु कि एक संकर किस्म है इस किस्म के फसल तैयार होने मे 90 से 110 दिन तक का समय लगता है ये किस्म 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर उत्पादन दे सकती है इसके पौधे को जलुस रोग नही लगता 

कुफरी लवकर

इस किस्म के पौधे को सबसे अधिक महाराष्ट्र राज्य के अंदर उगाया जाता है पोते की बीच की रोपाई 2 से 3 महीने के बाद उत्पादन देना आरंभ कर देता है इस किस्म के आरोप सफेद रंग के होते हैं जिसका प्रति एक्टर 200 से 250 इंटेल उत्पादन मिलता है

कुफरी अशोक

यह कुफरी अशोक किस्मत के पतियों को तैयार होने में 70 से 80 दिन का समय लग जाता है किस्म ज्यादातर उगाई मैदानी पाकुर में की जाती है इसका उत्पादन प्रति हेक्टर 250 से 280 क्विंटल तक होता है

जे. ई. एक्स.166 सी

भारत राज्य के उत्तरी भाग मे यह किस्म अधिक मात्रा मे उगाई जाती है इस किस्म को फसल देने में 90 दिन तक का समय लगता है जिसका उत्पादन प्रति हेक्टर 250 से 300 किइंटल का मिल सकता है 

किसान मित्रो इसके अलावा आलु की उन्नत किसमे है लेकिन आपको ये किसमे सिर्फ जानकारी के लिए बताया है आप अपने विस्तारित और हवामान के मुताबित किसी एक्सपर्ट की सलाह लेके उपयोग करे ये तो आपको जानकारी के लिए हमने यहां पर डाली है

आलु की खेती के लिये खेत तैयारी (Field ready for potato cultivation)

किसान भाइयों हम सरसों की खेती सभी प्रकार की जमीन में हो सकती है लेकिन आलू की खेती भुरभुरी मिट्टी मे कर मैं बहुत अनिवार्य होती है इसके लिए सबसे पहले आपको मिट्टी को कॉल हटाने के लिए आपको दो पंख वाला हाल यानी कि पुलाव की मदद से जमीन की जुताई करनी है कि जुदाई के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है उसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप में 15 टोली पुरानी गोबर की खा लिया वर्मी कंपोस्ट को डालकर उसकी फिर जुताई करनी होती है इसके बाद खेत में गोबर और मिट्टी को मिक्स करके उसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है उसके बाद खेत के ऊपर की मिट्टी सुखी दिखाई देने लगती है तब रासायनिक खाद के रूप में डीएपी के दो बोरे खेत में डालने होते हैं उसके बाद जुताई करनी होती है

इसके बाद आप अपने खेत मे रोटावेटर लगाकर अपने खेत को भुरभुरा बना देना है मिट्टि को भुर भरा बनाने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है इसके बाद खेत मे जब आप बुआई करने के समय आपको बेड बनकर तैयार होंगे लेकिन आपको पौधे के विकास के लिए आपको 25kg यूरिया की मात्रा सिंचाई के साथ देना अनिवार्य है

आलु के बीज की बुआई(planting potato seeds)

अगर किसान आप आलु की खेती करना चाहते हो आलू के बीजा की बुआई आलू के रूप में ही की जाती है उसके आलू को बड़े बड़े टुकड़ों मे काटकर  उसके ऊपर फंगस न लगे उसके लिए उसका पावडर डालकर बूआइ कर सकते है या फिर आको इंडोफिल को उचित मात्रा मे पानी में मिलकर आलु को गोल कर फिर 10 से 15 मिनिट रखने उसकी बुआई कर सकते है अगर हम आलु के बीज की मात्रा की बात करे तो उसमे प्रति हेक्टर 20 से 30 क्विंटल आलु की जरुरत होती है लेकिन आप आलु को काटकर डाले तो उससे कम या ज्यादा हो सकता है 

आलु की खेती के साथ किसान आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके बुआई  करता है तो बूआइ के साथ साथ ही मेड बनकर तैयार हो जाते है अगर पारंपरिक तरीकों से करता है तो बुआई के लिए मेड को तैयार करना पड़ता है प्रतेक मेड की चौड़ाई 1फुट रखनी होती है और आपको आलु की बूआइ के समय आपको 20 से 25cm की दुरी रखे और आपको 6-7cm गहरे डाल के लगाने होगे 
किसान मित्र आलु की खेती के समय की बात करे तो आलु की खेती रबि पाक के साथ किया जाता है इस लिए आप आलु की खेती शर्दियो की मौसम मे कर सकते होइस लिए समय की बात करे तो अक्टूबर और नवंबर माह के बीच के समय मे आपको आलू की बुआई करना है

आलु की खेती में सिंचाई (Irrigation in Potato Farming)

अगर किसान आलू की खेती करते है तो उसको विकास होने के लिए पानी की आवशकता होती है उसके आलावा आपको आलु की खेती नर्मी वाली जमीन के अंदर करना है और उसके बाद आपको 5 से 7 दिनों में पानी की जरुरत हो तो देना होगा अगर इस के बाद आपको पौधे के विकास के लिए आपको 10 से 12 दिन के अंतराल पर आपको पानी देना होता है और पानी देने के लिए आपको अपना जमीन के ऊपर निर्भर करता है

आलु की खेत मे खपतवार और नियंत्रण (Weeds and control in potato cultivation)

किसान भाईओ आलु की खेती मे खपतवार नियंत्रण करना जरुरी है आप आलु की खेती मे खपतवार नियंत्रण करने के लिये आप रासायनिक और जैविक तरीको का भी उपयोग कर सकते हो आपको खपतवार का नियंत्रण करने के लिए आपको अगर रासायनिक दवाई का उपयोग करना है पड़ामेथालिन जैसी दवाई को उसके प्रमाण माप के हिसाब से स्प्रे बीज की बुआई के पहले करने होते है अगर इसे खपत वार कम होती है अगर आप प्राकृतिक पद्धति से नियंत्रण करना हैं तो आपको फसल को 30 से 35 दिनों बाद निराई – गुड़ाई की जाती है आलू के पौधे को 3 से  4 गुड़ाई करके खपत वार का नियंत्रण की जरुरत होती है हर गूदाई के बिच में आप 20 दिनों तक का अंतराल रख सकते हो

आलु की फसल मे लगने वाले रोग (diseases of potato crop)

अगोतरी 

यह आलू की क़िस्म मे लगने वाला रोग यह रोग आलु की फसल में निचे से ऊपर की तरफ बढ़ता है उसके आलावा ये पौधे के पतियों पर आक्रमण करता है  और ये रोग लगने के बाद पतियों के निचले भाग में भूरे रंग के धब्बे दिखने मिलते है इस रोग से बचाने के लिए इंडोफिल या फाइटोलान जैसे दवाई का उपयोग करके रोग सकते है 

ब्लैक स्कर्फ

यह रोग क़िस्म का रोग है ये पौधे के अंकुरण के समय लगता है इस रोग के कारण प्रभावित पौधे के पत्ते पर काले रंग के धब्बे पड़ते है इस रोग का आक्रमण आधिक हो जाता है तो वो   पुरे पौधे को ख़तम कर देता है उसके बचाने के लिए कार्बेडाजिम जैसी दवाई का उपयोग करना होता है 

कटुआ  किट

ये आलू की अपनी खेती के पर कीटक के रुपमे दिखने मिलता है इस कीटक का लावा हमारे पौधे का पत्तो को काटकर ख़तम कर देता है यह कीटक रात के समय के दरमियान पौधे के ऊपर लिखने के लिए मिलता है हमारी आलू को फसल को बचाने के लिए मेटारीजम जैसी दवाई का उचित मात्रा में छठ का पौधों पर करना होता है

हड्डा बीटल

यही तो करोगे जो हमारी आलू की फसल के दरमियान की स्कूलों में ही आता है अनु के पौधे के प्रतिशत के रूप में आक्रमण करता है और पौधे की पत्तियों को जालीदार चेंज कर देता है यह कीटक काले पीले और लाल के भी हो सकते हैं इस रोक को पौधे को बचाने के लिए ब्युवेरिया के मिश्रण को खेत में डालना अनिवार्य है

आलु के पौधो की खुदाई,पैदावार,लाभ (Potato Plant Digging, Yield, Benefits)

आलू की फसल को शायद तक तैयार होने में 80 से 90 दिन का समय लगता है उचित तापमान होने से पहले आलू को खोदकर निकाल दिया जाता है अभी आप वर्तमान समय के अंदर मशीन के द्वारा भी पूजा करके आलू को निकाल दिया जाता है लेकिन अगर आलू के ऊपर मिट्टी आए तो उसको पानी से धोकर साफ करना पड़ता है इसके बाद अगर आलू की पैदावार की बात करें तो एक हेक्टर से 200 से ढाई सौ क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो सकती है या फिर उससे ज्यादा भी हो सकती है

आलू की फसल से कमाई (earning from potato crop)

आलू की फसल की बाजार भाव की बात करें तो 600 से 12:00 ₹100 प्रति क्विंटल मिल सकता है हम अधिकतर गुजरात राज्य में से है और बात करें तो यहां पर 20 किलो के हिसाब से 180 से ₹300 तक के भाव मिल सकते हैं और एक बार की फसल से डेढ़ से ₹200000 या फिर उससे ज्यादा आसानी से कमाए जा सकती है

सारांश (Summary)

हमने आपको इस लेख के आलू की खेती कैसे होती है वह सब जानकारी दी है यह हमारा देख सिर्फ आपके लिए जानकारी देना है आप अपने जमीन और वातावरण और अपने किसी एक्सपर्ट के द्वारा ही अपनी खेती करें अगर यह लेख आपको पसंद आया हूं तो दूसरे किसान के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद

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