1.चैटनी   यह एक यूरोपीय गाजर किस्म है। इस किस्म की गाजरें मोटी होती हैं और गहरे लाल रंग की होती हैं। बोने के 75 से 90 दिनों बाद यह किस्म तैयार होती है। इस किस्म का बीज खेत में बनाया जा सकता है। यह प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल उत्पादन देता है।

2..नैनटिस   ये यूरोपीय गाजर भी है। हरी पत्तियों वाला छोटा उपरी भाग इस किस्म की विशेषता है। इस किस्म की जड़ें गोल और नारंगी होती हैं। जिनके अगले सिरे का आकार छोटा और पतला होता है यह मीठी, दानेदार और सुगंधित मुलायल है। बीज बोने के 110 से 120 दिनों बाद यह किस्म तैयार हो जाती है। मैदानी क्षेत्रों में इसका बीज नहीं बनाया जा सकता। प्रति हेक्टेयर यह 200 क्विंटल उत्पादन देता है।

3.चयन नं 223 नैनटिस के समान गुणों वाली यूरोपियन किस्म भी एशियाई है। यह फसल बोने के ९० दिन बाद तैयार हो जाती है और ९० दिनों तक खेत में अच्छी हालत में रहती है। नारंगी रंग की मीठी जड़ें 15 से 18 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। देर से भी इसे बोया जा सकता है। यह प्रति हेक्टेयर 200 से 300 क्विंटल की फसल देता है।

4.पूसा रुधिर   यह लाल और लंबी है। यह 280 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देता है।

पूसा मेगानी  इसकी जड़े गोलाकार, लंबी, नारंगी रंग की गूदी होती है, जिसमें अधिक कैरोटीन होता है। यह अगस्त से सितंबर तक लगाया जा सकता है और अक्टूबर से नवंबर तक लगाया जा सकता है। बोने के 100 से 110 दिन बाद फसल तैयार हो जाती है। 250 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादकता होती है।

6.पूसा जमदग्री   85 से 130 दिनों में इस किस्म की जड़ें देश भर में तैयार हो जाती हैं। हरी पत्तियों वाली उपरी मंझौली है। इसका मध्य भाग और गुदा केसरिया रंग का होता है और इसका स्वाद मीठा, कोमल और उत्तम है। यह किस्म तेजी से बढ़ती है और अधिक उत्पादन देती है।

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